logo

81 साल की बुजुर्ग महिला से सीखें कोरोना को हराने का तरीका, 17 दिनों में बीमारी को दी मात

डॉक्टर की सलाह और घर में ही ऑक्सीजन लेवल मेंटेन रखने को किए जाने वाले अभ्यास 'प्रोनिंग' की बदौलत पथलगाँव के सुरेशपुर की बुजुर्ग महिला ने कोरोना महामारी को दी मात. बेटे और नाती की मदद से 17 दिनों में हुई कोरोना निगेटिव.


सुरेशपुर :-. ऐसे समय में जब कोरोना महामारी के फैलते संक्रमण के बीच युवाओं के इस बीमारी के चपेट में आने और दम तोड़ने जैसी खबरें आ रही हैं, सुरेशपुर के 81 साल की एक बुजुर्ग महिला की एक कहानी उत्साह बढ़ाने वाली है. घरवालों की  देख रेख के साथ-साथ मरीज में अगर जीने का हौसला हो, तो वह कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी को भी मात दे सकता है. पथलगाँव के सुरेशपुर की रहने वाली बुजुर्ग  *मोती बाई डनसेना " की कहानी कुछ ऐसी ही है. यह बुजुर्ग महिला 19 अप्रेल को कोरोना पोजेटिव हुई थी उसके बाद महज 17 दिनों में डाक्टर्स के सलाह समय समय  पर दवाई खाने से और अपने नाती की मदद से कोरोना पॉजिटिव से निगेटिव हो गईं. हैरान करने वाली बात यह कि इसके लिए वह किसी अस्पताल में भर्ती नहीं हुईं, बल्कि घर पर अपने नाती प्रवीण डनसेना की देखरेख से स्वस्थ हुईं.

81 साल की वृद्धा के जीने का हौसला गजब का है. यही वजह रही कि कोरोना संक्रमण का पता चलने के दिन उनका ऑक्सीजन लेवल जहां 94 से कम हो गया था, उसे उन्होंने महज 4 दिनों में वापस मानक तक लाकर दिखा दिया. मोती बाई के परिजनों के मुताबिक शुरुआती दिनों में उनकी मां का ऑक्सीजन 91 था, जो महज 4 दिनों में बढ़कर 94 -95 पर पहुंच गया. मोती बाई को बीमारी की जद से बाहर निकालने में उनके नाती प्रवीण डनसेना की मेहनत अहम रही, जो हर समय सकारात्मक सोच के साथ दादी मां की सेवा कर रहा था. वहीं दूसरी ओर उचित डॉक्टरी सलाह और प्रोनिंग की बदौलत घर बैठे उनकी चिकित्सा भी हो रही थी.

संक्रमित मां के इलाज के पीछे पॉजिटिव सोच
मोती बाई के छोटे बेटे नीलाम्बर डनसेना ने.................... से बातचीत में कहा कि कोरोना की दूसरी लहर आने के साथ ही उनकी मां संक्रमण का शिकार हो गईं. बुजुर्ग मां के संक्रमित होते ही परिवार वाले चिंतित हो गए. खासकर उनका ऑक्सीजन लेवल तेजी से नीचे जा रहा था, जिससे परिजनों को ज्यादा चिंता हो रही थी. बेटों ने फौरन ही बुजुर्ग मां को बीमारी से उबारने का फैसला किया. घर के सभी सदस्यों को इस महामारी से बचाव और संक्रमण की रोकथाम के सभी नियम बताए गए और सकारात्मक सोच के साथ मां का इलाज शुरू हुआ.
ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने को प्रोनिंग का तरकीब अपनाया गया l

नीलाम्बर डनसेना ने बताया कि मां की देखभाल और घर के बाकी सदस्यों को संक्रमण से बचाने के सभी पहलुओं को देखते हुए घरवालों ने कुछ निर्णय लिए. उन्होंने सकारात्मक सोच के साथ इस बीमारी से लड़ने का फैसला किया. नीलाम्बर डनसेना ने बताया कि डॉक्टरों की सलाह पर मां को घर में ही रखा गया. डॉक्टर की बताई दवाओं के साथ-साथ उनके खान-पान का भी खास ख्याल रखा जा रहा था. इसके अलावा मरीज का ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए लगातार प्रोनिंग भी शुरू करा दी गई.l

बेटा और नाती की हिम्मत और मां के हौसले से जीत ली जंग :-
 नाती ने दादी मां को पेट के बल लेटकर सांस लेने और छोड़ने की तरकीब सिखाई. उन्होंने कहा कि लगातार प्रयासों से मां के ऑक्सीजन लेवल में सुधार आया. बीमारी का पता चलने पर ऑक्सीजन का स्तर 90 था, जो 4 दिनों की प्रोनिंग के बाद 94 पर आ गया. इससे घरवालों में उत्साह का संचार हुआ. नीलाम्बर डनसेना ने कहा कि मां के संक्रमित रहने के दौरान घर के सभी सदस्यों ने कोरोना से बचाव के हर नियम का पालन किया, ताकि बीमारी का और प्रसार न हो. यही वजह रही कि महज 17 दिन होम कोरेन्टाइन रह के  81 साल की बुजुर्ग मां ने कोरोना को मात दे दी और स्वस्थ हो गईं.

माँ के जीने की चाह और सकारात्मक सोच को सलाम  🙏🙏🙏

66
14678 views
  
17 shares